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जीवनफल दर्पण

कैलाशनाथ उपाध्याय

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :164
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4565
आईएसबीएन :81-208-2574-8

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जीवन का फल बताने वाली पुस्तक

Jivanfal Darpan

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

नित्य प्रार्थना से वाकसिद्धि

ॐ अपमृत्युव्याधिपीड़ा दु:खानामपनुत्तये। सौख्यधान्यधनारोग्यं पुत्रपौत्रादिवृद्धये।। महिषघ्नीं महादेवीं कुमारीं सिंहवाहिनीम्। दानवांस्तर्जन्यतीञ्च सर्वकामदुघां शिवाम्।। ध्यायामि मनसा दुर्गा नाभिमध्ये व्यवस्थिताम्। आगच्छ वरदे ! देवि !! दैत्यदर्पनिपातिनी !!! अलिमण्डलमण्डितगण्डतलं तिलकी कृतकोमल चन्द्रकलम्। करघातविदारितवैरिबलं प्रणमामि गणाधिपति जटिलम्।। नम : सवित्रे जगदेकचक्षुषे जगत्प्रसूतिस्थितिनाशहेतवे। त्रीयमयाय त्रिगुणात्मधारिणे विरिञ्चिनारायण शंकरात्मने।। नमो नमस्ते जगदेकसाक्षिणे भूतादिमन्त्रैर्विनि योगहेतवे। सरोजसम्भूतसरोजशंखभृत्पिनाक भृत्पूजित पंकजाय ते।। यस्योदयेनेह जगत्प्रबुध्यते प्रवर्तते चाखिल कर्मसिद्धये। ब्रह्मेन्द्रनारायण रुद्रवन्दित: स न: सदा यच्छतु मंगलं रवि:।। नमोस्तु सूर्याय सहस्ररश्मये सहस्रशाखान्वित सम्भवात्मने। सहस्र योगोद्भवभूतिभागिने सहस्रसंख्यायुगधारिणे नम:।। यन्मण्डलं दीप्तिकरं विशालं रत्नप्रभं तीव्रमनादि रूपम्। दारिद्रयदु:खक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्।। यन्मण्डलदेवगणै: सुपूजितं ब्रह्मर्षिदेवर्षिनृपर्षिभाषितम्। तम्देवदेवं प्रणमामिसूर्य पुनात् मां तत्सवितुर्वरेण्यम्।। यन्मण्डलं ज्ञानघनं त्वगम्यं त्रैलोक्यपूज्यं त्रिगुणात्मरूपम्। समस्ततेजोमयदिव्यरूपं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम्। यन्मण्डलं मूढ़मति प्रबोधं धर्मस्य वृद्धिं कुरुते जनानाम्। यत्सर्वपापक्षयकारणं च पुनात् मां तत्सवितुर्वरेण्यम्।। यन्मण्डलं व्याधिविनाशदक्षं यदृग्यजु: सामसुसंप्रगीतम्। प्रकाशितं येन च भूर्भुव: स्व: पुनातुमां तत्सवितुर्वरेण्यम्।।

जीवनफल देखने की शास्त्रीय विधि


जन्मकुण्डली में सूर्यराशि, चन्द्रराशि और लग्नराशि में जो राशि बलवान् हो, उसी राशि का जीवनफल आपके जीवन में पूर्ण रूप से चरितार्थ होगा। जन्मनक्षत्र या जन्मराशि का नाम मालूम हो तो उसके द्वारा बनने वाली राशि आपकी जन्मराशि होगी, अथवा यदि जन्मतारीख ज्ञात हो तो आप राशिज्ञान चक्र में अपनी जन्मतारीख तलाश करें इससे जो राशि ज्ञात हो उसी राशि का जीवनफल अध्ययन करें, अथवा ज्योतिषशास्त्र की अन्तिम सम्मति यह है कि जन्मराशि न ज्ञात होने पर आप अपने प्रचलित (व्यावहारिक) पुकार नाम के सर्वप्रथम अक्षर से बनने वाली राशि ज्ञात करें, तदुपरान्त जीवनफल का अध्ययन करें।

नामाक्षर से राशि-ज्ञान-चक्र

राशि        राशि नाम या पुकारनाम का प्रथम अक्षर         जन्म तारीख

मेष           चू चे चो ला ली लू ले लो अ                        21 मार्च से 20 अप्रैल
वृषभ         इ उ ए ओ वा वी वू वे वो                         21 अप्रैल से 21 मई
मिथुन       का की कू घ ङ छ के को हा                        22 मई से 21 जून
कर्क          ही हू हे हो डा डी डू डे डो                          22 जून से 23 जुलाई
सिंह         मा मी मू मे मो टा टी टू टे                         24 जुलाई से 23 अगस्त
कन्या        टो पा पी पू ष ण ठ पे पो                            24 अगस्त से 23 सितम्बर
तुला         रा री रू रे रो ता ती तू ते                           24 सितम्बर से 23 अक्टूबर
वृश्चिक      तो ना नी नू ने नो या यी यू                        24 अक्टूबर से 22 नवम्बर
धनु          ये यो भा भी भू ध फ ढ भे                           23 नवम्बर से 21 दिसम्बर
मकर       भो जा जी जू जे जो खा खी खू खे खो गा गी     22 दिसम्बर से 20 जनवरी
कुम्भ        गृ गे गो सा सी सू से सो दा                          21 जनवरी से 19 फरवरी
मीन        दी दू थ झ ञ दे दो चा ची                            20 फरवरी से 20 मार्च

BE THE MASTER OF YOUR FATE-NAME-FAME-FUN-FORTUNE FORTITUDE-FOREVER


हर प्राणी के अन्दर काम करने की विशेष अनिवार्य क्षमता होती है। देखा गया है कि अधिकतर व्यक्ति इस क्षमता का उपयोग न कर गलत जगह अपनी शक्ति और ऊर्जा इस्तेमाल करते रहते हैं। कहीं आप भी तो उन लोगों जैसे गलत प्राणी तो नहीं है ? क्या आपने जो अपना कार्य-क्षेत्र चुना है, वह आपके भाग्य और सितारों के योग्य है ? सच तो यह है कि विभिन्न राशियों वाले व्यक्तियों मे कुछ ईश्वर प्रदत्त शक्ति, बुद्धि, इनर्जी और गुण होते हैं जिनकी वजह से वे कुछ कार्य को ज्यादा कुशलता से सोच-विचार कर प्रतिपादित कर सकते हैं। आत्मभिव्यक्ति की इस शक्ति का ज्ञान होने पर वे जीवन के अन्धकार एवं अपनी निराशा को दूर कर सकते हैं। ज्यादा सही कार्यक्षेत्र अपने सुखी व शान्त भविष्य जीवन के लिए चुनकर आप सफल व्यक्ति सिद्ध हो सकते हैं। आप भी अपनी आन्तरिक ज्योति एवं अभ्यंन्तर शक्ति को पहचान कर अपना कार्यक्षेत्र चुनिये और खुशहाल जीवन बिताइये।

लेखक

मेष राशि का जीवनफल


राशि स्वभाव के अन्तर्गत शास्त्र वचन-

पुमांश्चरोग्नि: सुदृढ़श्चतुस्पाद्रक्तोस्णपित्तोऽतिरवोऽद्रिरुग्र:।
पीतोदिनं प्राग्विषमोदयोऽल्प संगप्रजो रूक्षनृप: समोऽज:।।

यदि आपकी मेषराशि है तो काल-विधान-शास्त्र के अन्तर्गत आप लोककल्याण की इच्छा रखने वाले व्यक्ति हैं। निम्नकोटि के निवासस्थान में भी स्वतन्त्र रहना, समता-विहीन होना, समय की गति से परिचित रहना और परिग्रह का त्याग करना आपकी राशिगत विशेषता है। आपका कर्त्तव्य-पथ अपने ढंग का अनोखा है।

‘‘साइरस’’ के शब्दों में ‘‘अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।’’ इसे मानकर आप चलिए तो आपका जीवन आद्योपान्त पठनीय, स्मरणीय, आदरणीय बनेगा। उष्ण प्रकृति, ज्वर-रक्त-पित्त विकार से पीड़ित शरीर, तामसी खानपान होगा। अल्पवेश, कृशित शरीर, मध्यम ऊंचा-कद उग्रदृष्टि का योग है। विद्याध्ययन का अधिकार प्राप्त रहेगा। कर्मदक्ष बुद्धि होगी। बन्धु-पिता व जन्मभूमि से दूर रहते हुए सुखी रहेंगे। चंचल स्वभाव, कामकला में कुशल, एकान्तवास की रुचि तथा सेवा-सुश्रुषा करने में चतुर होंगे। सन्तान का स्वल्प सुख मिलेगा। घुटना दुर्बल, गुप्त ढंग से हर काम करने की प्रवृत्ति, शिर या मुख पर कोई दाग होना सम्भव है। देवी-देवता की उपासना में साधारण रुचि होगी। भोजन कम करना तथा शाकाहारी प्रिय होना आपके मेषराशि का लक्षण है। विशेष प्रयत्नों द्वारा यश प्राप्त कर सुख-पूर्वक जीवन व्यतीत करने की आपकी प्रबल अभिलाषा होगी।

आपका राश्याधिपति मंगल आपको साहसी-दूरदर्शी और सामर्थ्यवान बना रहा है। मंगल में इतनी अमोघ शक्ति व अद्धुत जादू विद्यमान है कि जरा भी अच्छा समय आने की आशा आपको प्राप्त हो जाए तो मरणावस्था में भी आप जीवित रहने की तीव्र अभिलाषा प्रकट हो जायेगी। मेषराशि के प्रभाव से आप सत्ताधिकारी हो सकते हैं। आपकी राशि उत्कर्षदायक, महत्वदर्शक और प्रत्येक उच्च-नीच स्थिति का निर्माण करने वाली है। आप स्वयं एक भविष्य-दृष्टा प्राणी हैं, जिसके सहारे भविष्य में आने वाली किसी भी शुभाशुभ घटना का सहज अन्दाजा लगा लेना और मौके पर सतर्क हो जाना आपके लिए आसान है। यह ध्यान रखें कि तीव्रगति आपके लिए सदैव खतरनाक है। एकाएक किसी कार्य का शुभारम्भ न करें। आसपास के वातावरण का पूरा ध्यान रखकर ही कोई काम करें। शारीरिक शक्ति का कहीं दुरूपयोग करना ठीक नहीं हैं, मन को काबू में रखना जरूरी है।

आप अपनी शक्ति अपने कुटुम्ब के प्रत्येक सदस्य को उचित प्रमाण से नित्य प्रदान करते रहेंगे। सुन्दर शरीर, पुराने मत के अनुयायी, बोलने में प्रवीण होंगे। वायुविकार, कौटुम्बिक सुख की कमी, अभियान एवं बुलन्द भाषण से जीवन में कई बार द्रव्यहानि का प्रसंग आयेगा। अस्थिर मन, चंचल-स्वभाव, लम्बा उद्योग धन्धा करने में तत्पर रहेंगे। कभी-कभी अपयश, क्रोध और प्रतिकूलता से चिन्ता बनी रहेगी। उद्योग-धन्धे में कुछ फेरफार करने की प्रवृत्ति होगी। कई लोग आपके प्रतिस्पर्धी व प्रतिकूल भी रहेंगे। आपके शरीर में शिर-चेहरा-मस्तिष्क और नेत्र का समीपवर्ती प्रत्येक अंग कभी-कभी रोगग्रस्त रहेगा। साथ ही चर्मरोग, फोड़ा-फुंन्सी कटने-जलने, चोट-चपेट आदि से पीड़ित भी रहेंगे। आपके संकल्प आपकी कर्त्तव्यनिष्ठा और यात्राएं शायद कभी व्यर्थ नहीं होंगी, भले ही आपके सामने या फिर अगली पीढ़ी के लिए फलित हों।
प्रतिवर्ष अक्टूबर मास, प्रतिमास 1-6-11-21 तारीखें, शुक्रवार का दिन कर्क-वृश्चिक-मीन राशि के व्यक्ति तथा काला-नीला रंग का वस्त्रादि पदार्थ जीवन पर्यन्त आपके लिए ठीक नहीं है। आप चाहे किसी भी जाति में जन्म लिये हों लेकिन आप में राजपूतों जैसा क्षत्रिय व्यक्तित्व कूट-कूट कर भरा होगा। ब्राह्मणों की सेवा-पूजा-भक्ति में आप तत्पर रहेंगे। अनावश्यक बातों पर अधिक ध्यान देंगे, जीवनमें यथार्थ स्थिरता का अभाव होगा। अनेक धन्धा करने में माहिर होंगे और वाहन का उत्तम सुख चाहने पर ही मिलेगा। आपका सुन्दर व्यक्तित्व एवं आकर्षक आकृति होगी। अपने अस्तित्व को समझेंगे, खूब समझ-बूझकर कदम उठाने की आदत और तुनकिजाजी स्वभाव होगा।

आपका जीवन वास्तव में एक चलते हुए और एक लड़ते हुए मुसाफिर की तरह संघर्षमय व्यतीत होगा। मेषराशि अग्नितत्व के पुरुष जन्मजात नेता, सहज ही दूसरों के दुख में दुखी और सुख में सुखी हो जाने का स्वभाव रखते हैं। छल और कपट पर अधिक विश्वास नहीं करेंगे। घर को पर्याप्त सुन्दर, व्यवस्थित और कलात्मक बनाने में समर्थ होंगे। अधिकतर आपका भावुकता लिए सरल स्वभाव होगा। हर कठिन काम सम्पादित करने के इच्छुक रहेंगे। कोई भी काम करते समय जरूरत से ज्यादा आगा-पीछा आप सोचेंगे। ज्योतिष, न्याय, शिक्षण, शोधकार्य लेखन और भाषण में आपकी स्वाभाविक रुचि होगी। मेष राशि के पुरुषों को मेष, मिथुन, कर्क, तुला मकर एवं कुम्भराशि वाली स्त्री-वर्ग में माता-बहन-पत्नी-पुत्री (रिश्ते-नातेदार) हों तो उनसे समतावादी सुखद सम्बन्ध कुछ समय तक स्थिर रह सकता है। स्त्रियों पर समयानुसार अधिक भरोसा भी कर सकते हैं।

प्रारम्भिक जीवन में शैक्षणिक महत्व समझते हुए विद्यार्जन के प्रति अधिक प्रयत्न करना चाहिये और प्रशासनिक सेवाओं के लिए प्रतिस्पर्धा परीक्षाओं में प्रवेश लेना चाहिए। उचित सफलता मिलने पर सुखी जीवन कायम रहेगा। मंगल में गुण-धर्म से प्रभावित मेषराशि का मूलांक 9 है, तदनुसार नेतृत्व करने में दक्ष, हृदय से पीड़ित, उग्र, जिद्दी एवं विरोधी स्वभाव होगा। 19 से 23 वर्ष की आयु तक विवाह न होने पर विपरीत सेक्स की ओर अमर्यादित आकर्षण बढ़ सकता है। पाश्चात्य रीति-रिवाजों में यदि आप नहीं है तो हिन्दुस्तानी मतानुसार पति और पत्नी का सम्बन्ध एक रथ के दो पहिये के सदृश मानिये, जो कि साथ-साथ सहयोग करते हुए चलने पर जीवनरूपी रथ कभी भी, कहीं भी रुक नहीं सकती। वैवाहिक सम्बन्ध को आप बोझ न समझें, प्रेमपूर्वक जीवन बनाने और निर्वाह करने में ही समय व्यतीत कीजिए। आप एक चिन्तनशील प्राणी है, अवश्य ही अपने अतीत-वर्तमान और भविष्य के सम्बन्ध में निरन्तर चिन्तनशील रहेंगे। विकास हेतु साहसिक कार्य करने में आपको आनन्द आयेगा। खरी-खरी बातें निर्भीक और स्पष्ट भाव से कह देने की आदत होगी।


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